लोगों की राय

नई पुस्तकें >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

31

कठपुतलियां


मंच पर कलाकार अपने दोनों हाथों में लकड़ी के गुड्डा-गुड्डी लिए है। पीली रोशनी में उसके हाव-भाव नजर आ रहे हैं। गुडि़या को वह भाव विह्वल होकर देख रहा है। मन मन में कुछ बुदबुदा रहा है-फिर अचानक चीखकर, दहाड़ें मारकर रोने लगता है-’हाय री मेरी धन्नो...’ बेहोश होकर गिर जाता है... (विछोह का संगीत)

होश में आने पर उठकर कुछ बुदबुदाता है... ‘तब तो लगता था कठपुतलियां गाती है, धन्नो के जाने के बाद पता लगा ये तो बेजान लकड़ी की पुतलियां है, धन्नो गाती थी, तो इनके शरीर में हरकत होती थी। वह गाती, मैं उंगलियों पर कठपुतलियां नचाता तो तालियों के शोर से सब जीवंत हो जाता।

वह उठ खड़ा होता है। टहलने लगता है... ‘ गाओ एक बार गाओ मेरी धन्नो... एक बार गाओ मेरी कठपुतलियों... नहीं गाती, नहीं नाचती बेदर्द... धोखेबाज...।’ जोर से दोनों कठपुतलियों को फेंक देता है।

 

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book