लोगों की राय

नई पुस्तकें >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

28

पुस्तक


दादी ने अपनी पोती को टी.वी. से हटाने के लिए कहानी सुनाने का लालच दिया और प्यार से बैठाकर चन्दा मामा की कहानी सुनाने लगी। दादी अपनी पोती को समझा रही थी चांद के बारे में, उसमें बैठी सूत कातती बूढि़या के बारे में...

पोती ने झट टोक दिया, ’दादी! तुमको कुछ नहीं मालूम। चांद में कोई बुढि़यां चर्खा नहीं कातती... सब झूठ है। चांद तो हमारी पृथ्वी जैसा एक ग्रह है। उसमें जो दाग दिखाई देता है, वे ऊंचे-नीचे गड्ढे हैं..।’

‘कौन सिखाता है तुझे ये बड़ी-बड़ी बातें?’ दादी आश्चर्यचकित उसे देख रही थी।

‘सब मेरी पुस्तकों में लिखा है।’ कहती हुई पोती फिर टी.वी. की ओर भाग गयी।

 

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book