लोगों की राय
नई पुस्तकें >>
मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9835
|
आईएसबीएन :9781613016039 |
|
0
|
‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
20
नाखूनों की जुबान
इतनी तंग गली में आसानी से तो एक ही व्यक्ति गुजर सकता था। कभी-कभार सामने से कोई आ भी जाता तो दोनों को धीरे से सटकर
गुजरना पड़ता था।
सुबह-सुबह सेठ निकले तो गली के बीच रुनिया आ गई। सेठ देखते ही बिगड़ गया, ’ऐ... कालू की... चल वापस चल... पहले मुझे निकल जाने दे।’
‘सेठ, जरा बराबर से होकर निकल जा।’
‘चल हट, मेरा धर्म-कर्म नष्ट करेगी क्या...?’
‘क्यों सेठ, उस रात झुमिया को गोदाम में लिए जा रहा था तब कहां गया था तेरा धर्म-कर्म...?’ फुफकारती हुई रूनिया आगे बढ़ती चली गई और बेचारा सेठ बड़बड़ाता हुआ पीछे हटता गया।
0 0
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai