नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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खाली कोख
‘मैम इस बार भी आपकी कोख खाली है...’पेट पर सोनोग्राफी की मशीन घुमाते हुए डॉक्टर अंजली ने निराशापूर्वक बताया...।
‘क्या इस बार भी... हे भगवान।’ डॉ. निर्मला झुंझलाकर क्रोध में आपे से बाहर हो गयी, ’डॉ. अंजली बंद करो ये सोनोग्राफी’ लात मारकर उसने मशीन को दूर धकेल दिया।
‘पेसेंस रखो मैडम’ डॉ. अंजली ने हॉस्पीटल की मालकिन को सांत्वना देना चाहा।’
‘क्या खाक पेसेंस रखू डॉ. अंजली। हजारो बच्चों की लिंग जांचकर लोगों को बता दिया, परन्तु अपनी कोख खाली की खाली... डॉक्टर कभी-कभी मुझे लगता है कन्याओं का श्राप मुझे लग गया है जिनको मैंने गर्भ में ही जन्म लेने से रोक दिया... दस वर्ष बीत गए औलाद का सपना देखते, शायद मेरी किस्मत में बच्चे का सुख है ही नहीं, फिर बताओ इतने बड़े हॉस्पीटल, प्रोपर्टी, धन-दौलत किस काम आएंगे।’ डॉ. निर्मला लगभग विलाप करने लगी।
डॉ. अंजली चिंता में पड़ गयी-’कहीं उन कन्याओं का श्राप मुझे भी’अपने पेट को सहलाते हुए वह इस नौकरी को छोड़ने पर विचार करने लगी।
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