नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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दुश्मन
‘देख बेटा आज घर पर ही रहना- दिल्ली से कुछ लोग तेरे मामा के साथ आएंगे।’ माँ ने प्यार से कहा।
‘दीदी को देखने...?’
‘नहीं, तुझे देखने।’
‘पर माँ, दीदी तो मुझसे बड़ी है।’
‘उसकी बाद में हो जाएगी...’
‘नहीं माँ, यह ठीक नहीं है।’
‘बेटे तू समझता नहीं।’ माँ ने कहा-’घर में कुछ है नहीं ललिता की शादी के लिए, सोचती हूं तेरे दहेज से उसकी शादी कर दूंगी...।’
बिना कुछ उत्तर दिए वह घर से निकल गया और आज तक लौट कर नहीं आया।
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