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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
14
लंगड़ी कुत्तिया
कोई भी गाड़ी उस गली से गुजरती तो लंगड़ी कुत्तिया भौं-भौं करती हुई उसकी पीछे भागती। जब तक गाड़ी गली के मोड़ पर जाकर आंखों से ओझल न हो जाती तब तक वह भौंकती रहती। जब उसके बच्चे बड़े हुए तो वो भी ऐसा ही करने लगे। ज्यों-ज्यों अधिक गाडि़यों का आना-जाना हुआ वैसे ही लंगड़ी कुत्तिया के परिवार की संख्या भी बढ़ने लगी।
आज जैसे ही उनकी गाड़ी गुजरी तो सभी जोर-जोर से भौंकते हुए उनके पीछे भागने लगे।
‘दादू जब कोई गाड़ी जाती है तो ये कुत्ते भौंकते हुए क्यों पीछा करते हैं?’ रोहण ने अपने दादू से पूछा।
‘बेटा किसी गाड़ी ने इस कुत्तिया के पांवों को कुचल दिया था तब से यह प्रत्येक गाड़ी वाले को भौंकती है।’ दादू ने गाड़ी चलाते हुए समझाया।
‘पर क्यों दादू...?’
‘उसको डर है कहीं कोई गाड़ी वाला उसके बच्चों के पांव न कुचल दे इसलिए यह भौंक-भौंक कर गाडि़यों को बाहर निकाल देती है।’
गाड़ी मुड़ जाने के बाद लंगड़ी कुत्तिया का परिवार इतमिनान से वापस लौट गया।
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