लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


मैंने सेल का कुरान खरीदा और पढ़ना शुरू किया। कुछ दूसरी इस्लामी पुस्तके भी प्राप्त की। विलायत में ईसाई मित्रो से पत्र व्यवहार शुरू किया। उनमे से एक ने एडवर्ड मेंटलैंड से मेरा परिचय कराया। उनके साथ मेरा पत्र-व्यवहार चलता रहा। उन्होंने एना किंग्सफर्ड के साथ मिलकर 'परफेक्ट वे' (उत्तम मार्ग) नामक पुस्तक लिखी थी। वह मुझे पढ़ने के लिए भेजी। उसमें प्रचलित ईसाई धर्म का खंड़न था। उन्होंने मेरे नाम 'बाइबल का नया अर्थ' नामक पुस्तक भी भेजी। ये पुस्तकें मुझे पसन्द आयी। इनसे हिन्दू मत की पुष्टि हुई। टॉस्सटॉ की 'वैकुंठ तेरे हृदय में हैं' नामक पुस्तक ने मुझे अभिभूत कर लिया। मुझ पर उसकी गहरी छाप पड़ी। इस पुसतक की स्वतंत्र विचार शैली, इसकी प्रौढ नीति और इसके सत्य के सम्मुख मि. कोट्स द्वारा दी गयी सब पुस्तके मुझे शुष्क प्रतीत हुई।

इस प्रकार मेरा अध्ययन मुझे ऐसी दिशा में ले गया, जो ईसाई मित्रो की इच्छा के विपरीत थी। एडवर्ड मेंटलैंड के साथ मेरा पत्र व्यवहार काफी लम्बे समय तक चला। कवि (रायचन्द भाई) के साथ तो अन्त तक बना रहा। उन्होंने कई पुस्तके मेरे लिए भेजी। मैं उन्हें भी पढ़ गया। उनमें 'पंचीकरण', 'मणिरत्नमाला', 'योगवसिष्ठका', 'मुमुक्षु-प्रकरण', 'हरि-मद्रसूरिका', 'षड्दर्शन-सम्मुचय' इत्यादि पुस्तके थी।

इस प्रकार यद्यपि मैंने ईसाई मित्रों की धारणा से भिन्न मार्ग पकड़ लिया था, फिर भी उनके समागम में मुझमे जो धर्म-जिज्ञासा जाग्रत की, उसके लिए तो मैं उनका सदा के लिए ऋणी बन गया य़ अपना यह संबंध मुझे हमेशा याद रहेगा। ऐसे मधुर और पवित्र संबंध बढ़ते ही गये, घटे नहीं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai