नई पुस्तकें >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
|
0 |
जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
युवती- मैं तो प्रस्तुत हूँ।
युवक- हम तुम्हारे पहले।
युवती ने कहा- तो चलो।
युवक ने मेघ-गर्जन-स्वर से कहा- चलो।
दोनों हाथ में हाथ मिलाकर पहाड़ी से उतरने लगे। दोनों उतरकर चन्द्रप्रभा के तट पर आये, और एक शिला पर खड़े हो गये। तब युवती ने कहा- अब विदा!
युवक ने कहा- किससे? मैं तो तुम्हारे साथ-जब तक सृष्टि रहेगी तब तक-रहूँगा।
इतने ही में शाल-वृक्ष के नीचे एक छाया दिखाई पड़ी और वह इन्हीं दोनों की ओर आती हुई दिखाई देने लगी। दोनों ने चकित होकर देखा कि एक कोल खड़ा है। उसने गम्भीर स्वर से युवती से पूछा- चंदा! तू यहाँ क्यों आई?
युवती- तुम पूछने वाले कौन हो?
आगन्तुक युवक- मैं तुम्हारा भावी पति 'रामू' हूँ।
युवती- मैं तुमसे ब्याह न करूँगी।
आगन्तुक युवक- फिर किससे तुम्हारा ब्याह होगा?
युवती ने पहले के आये हुए युवक की ओर इंगित करके कहा- इन्हीं से।
|