लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 36

प्रेमचन्द की कहानियाँ 36

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :189
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9797
आईएसबीएन :9781613015346

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

297 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का छत्तीसवाँ भाग


लीला मिशन में डाक्टर थी। उसका बँगला भी पास ही था। वह चली गई तो मि. खुरशेद ने जुगनू को बुलाया।

जुगनू ने एक पुर्जा उसको देकर कहा- ''मिसेज़ टंडन ने यह किताब माँगी है। मुझे आने में देर हो गई। मैं इस वक्त आपको कष्ट न देती, पर सबेरे ही वह मुझसे माँगेगी। हजारों रुपए महीने की आमदनी है मिस साहब, मगर एक-एक कौड़ी दाँत से पकड़ती हैं। इनके द्वार पर भिखारी को भीख तक नहीं मिलती।''

मि. खुरशेद ने पुर्जा देखकर कहा- ''इस वक्त तो यह किताब नहीं मिल सकती। सुबह ले जाना। तुमसे कुछ बातें करनी हैं, बैठो मैं अभी आती हूँ।''

वह पर्दा उठाकर पीछे के कमरे में चली गई और वहाँ से कोई पंद्रह मिनिट में एक सुंदर रेशमी साड़ी पहने, इत्र में बसी हुई, मुँह पर पाउडर लगाए निकली। जुगनू ने उसे आँखें फाड़कर देखा। ओहो! यह श्रृंगार! शायद इस समय वह लौंडा आने वाला होगा। तभी यह तैयारियाँ हैं। नहीं, सोने के समय क्वांरियों को बनाव-सँवार की क्या जरूरत। जुगनू की नीति में स्त्रियों के श्रृंगार का केवल एक उद्देश्य था- पति को लुभाना। इसलिए सोहागिनों के सिवा श्रृंगार और सभी के लिए वर्जित था। अभी खुरशेद कुर्सी पर बैठने भी न पाई थी कि जूतों का चरमर सुनाई दिया और एक क्षण में विलियम किंग ने कमरे में क़दम रखा। उसकी आँखें चढ़ी हुई मालूम होती थीं और कपड़ों से शराब की गंध आ रही थी। उसने बेधड़क मिस खुरशेद को छाती से लगा लिया और बार-बार उसके कपोलों के चुंबन लेने लगा।

मिस खुरशेद ने अपने को उसने करपाश से छुड़ाने की चेष्टा करके कहा- ''चलो हटो, शराब पीकर आए हो।''

किंग ने उसे और चिमटाकर कहा- ''आज तुम्हें भी पिलाऊँगा प्रिये। तुमको पीना होगा। फिर हम दोनों लिपटकर सोएँगे। नशे में प्रेम कितना सजीव हो जाता है इसकी परीक्षा कर लो।''

मिस खुरशेद ने इस तरह जुगनू की उपस्थिति का उसे संकेत किया कि जुगनू की नज़र पड़ जाए, पर किंग नशे में मस्त था। जुगनू की तरफ़ देखा ही नहीं।

मिस खुरशेद ने रोष के साथ अपने को अलग करके कहा- ''तुम इस वक्त आपे में नहीं हो। इतने उतावले क्यों हुए जाते हो। क्या मैं कहीं भागी जा रही हूँ।''

किंग- ''इतने दिनों से चोरों की तरह आया हूँ आज से मैं खुले खुजाने आऊँगा।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book