ई-पुस्तकें >> बोध कथाएँ बोध कथाएँविनोबा भावे
|
7 पाठकों को प्रिय 149 पाठक हैं |
विनोबा भावे की 10 वोध कथायें
2
क्रोधाग्नि पर प्रेम का पानी
एक बार ज्ञानदेव महाराज को क्रोध आ गया तो उनकी बहन मुक्ताई ने कहा, "ताटी उघड़ा ज्ञानेश्वरा, " (ज्ञानेश्वर महाराज, आप अपना अकड़ना कम कीजिए)।
उन्होंने कहा, "विश्व रागे झाले बहन, संत मुखे बहावे पानी।" (यदि दुनिया आग-बबूला हो उठे तो संतों को चाहिए कि स्वयं पानी बन जायें)।
अग्नि को पानी बुझा देता है। अगर पानी में आग डाल दे तो क्या वह पानी को जला देगी या खुद बुझ जायेगी? संतों का स्वभाव भी ऐसा होना चाहिए। कोई कितना ही क्रोधित क्यों न हो, उन्हें शांत रहना चाहिए।
¤
|