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बोध कथाएँ

विनोबा भावे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :23
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9735
आईएसबीएन :9781613012604

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विनोबा भावे की 10 वोध कथायें

1

अपरिग्रही संन्यासी

एक संन्यासी अपने आपको अपरिग्रही कहता था। उसने अपने पास केवल एक तुंबा रखा था। एक दिन उसे प्यास लगी और वह नदी पर गया। साथ में तुंबा लिया। उसके पीछे-पीछे एक कुत्ता भी वहां पहुँचा। कुत्ते ने चट से पानी पिया और भाग गया।

संन्यासी ने सोचा, "मैं अपरिग्रही हूँ या कुत्ता, क्योंकि वह मेरे बाद आया और पानी पीकर चला भी गया। इसलिए सच्चा संन्यासी वही है। वही मेरा गुरु है।" यह कहकर उसने तुंबा नदी को अर्पित कर दिया।

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