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वापसी
वापसी
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9730
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आईएसबीएन :9781613015575 |
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
दर और दम बाहर होगा।''
विवश होकर रुख़साना आगे बढ़ी और एक दीवार तक पहुंच कर उस पर लगा एक बटन दबाया। दीवार में लगा एक लाल बल्ब एकाएक जल उठा और साथ ही दीवार में एक दरार उत्पन्न हो गई। एक गुप्त ज़ीना उस दरार के बीच दिखाई दिया और गुरनाम रुख़साना के पीछे वह ज़ीना उतरने लगा।
नीचे तहख़ाने में जान एक कुर्सी पर बैठा ट्रांसमीटर आन किए कुछ सिगनल दे रहा था। अपने पीछे आहट सुनते ही उसने पलट-कर पूछा-''मिल गई वह फ़िल्म?''
यह वाक्य जान की ज़बान पर लड़खड़ा कर ही रह गया, जब उसने रुख़साना के पीछे गुरनाम को उसकी पीठ पर रिवाल्वर जमाए देखा। वह आश्चर्यचकित उसे देखता ही रह गया।
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