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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

''इस अपनत्व के लिए शुक्रिया।

और फिर उसका गिलास अपने हाथ में लेते हुए बोला-''लार्ज या स्माल?''

''व्हिस्की...नहीं...जिन विद कोक।''

''व्हिस्की के बाद।''

''मुझे ड्रिंक्स मिक्स करने का शौक है।''

गुरनाम ने उसकी बात सुनकर उसके जवान बदन को एक बार नीचे से ऊपर तक निहारा और उसका गिलास लिए 'बार' तक चला आया। जब वह जिन और कोक लेकर लौटा तो रुख़साना मुंह में सिगरेट दबाए उसे सुलगाने लगी थी। गुरनाम को देखते ही वह बोली-''आपको बुरा तो नहीं लगता?''

''क्या?''

''मेरा...यूं आपके सामने बेझिझक सिगरेट पीना।''

''बिल्कुल नहीं। आप शौक कर सकती हैं।''

रुख़साना ने सिगरेट सुलगाकर एक लंबा कश लिया और नथुनों से धुआं निकालती हुई बोली-'' कल रात आप कुछ ज्यादा ही मूड में आ गए थे।''

''मूड में नहीं, बदतमीज़ी पर उतर आया था।''

''बदतमीज़ी कैसी...। ग़लती तो जान की ही थी जो बेकार आपसे उलझ बैठा। दरअसल वह हर ऐसे आदमी से जलने लग जाता है, जो ज़रा भी मुझसे हंसकर बात करे।''

''मर्द होते ही शक्की हैं।'' गुरनाम ने एक लंबा घूंट कंठ से नीचे उतारते हुए कहा।

''लेकिन मैं ऐसे मर्दों को पसंद नहीं करती।''

''तो जान के साथ ज़िंदगी कैसे कटेगी?''

''उसे मेरे इशारों पर चलना होगा। मेरी आज़ादी में दखल नहीं देना होगा।''

''और अगर उसने ऐसा न किया?''

''तो शादी के फ़ौरन बाद डाइवोर्स।''

''आप काफ़ी जिंदादिल औरत हैं।''

''औरत नहीं लड़की। शादी हो जाने के बाद मुझे यह दर्ज़ा दीजिएगा।''

''ओह...आई एम सॉरी।''

धीरे-धीरे जाम पर जाम ख़ाली होते रहे और फिर भरते रहे। ठंडे सीनों में चिनगारियां भड़कने लगीं। फिर दोनों अपने-अपने गिलास थामे होटल के हरे लान में निकल आए। ठंडी हवा में दिल और गर्म होने लगे। कुछ देर बाद वहां से उठकर गुरनाम के कमरे में आ गए।

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