ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
''अरे वही कैप्टन गुरनाम...तुम्हें तो वह अच्छी तरह जानता है।''
''लेकिन मैं तो उससे कभी नहीं मिली।'' वह आश्चर्य से बोली।
रशीद को पूनम का उत्तर सुनकर एक झटका सा लगा। लेकिन इससे पहले कि बहस उसे उलझन में डाल दे, उसने बात का विषय बदलते हुए पूनम से पूछा-''क्या लोगी...पाईन एपल जूस या लैमन स्क्वैश?''
''पाईन ऐपल जूस।''
पूनम का उत्तर सुनते ही रुख़साना काउंटर से जाकर पाईन एपल जूस के दो गिलास ले आई और रशीद व पूनम को उसने एक-एक गिलास थमा दिया। जान ने अपना व्हिस्की का गिलास उठाया और आधा रुख़साना के ख़ाली गिलास में उड़ेल दिया। चारों गिलास 'चीयर्स' की आवाज़ के साथ टकराए और उन चारों के होंठ तर करने लगे।
ज्यों ही घड़ी ने ग्यारह बजाए, बाटम अप (bottom up) की ध्वनि के साथ सबने अपने गिलास ख़ाली कर दिए। यूनिट के कमांडिंग आफ़िसर ने सबको सम्बोधित करते हुए कर्नल चौधरी को दी गई पार्टी के बारे में कुछ शब्द कहे और उनकी फ़ौजी सेवाओं तथा चरित्र की जी खोलकर सराहना की। आखिर में रात के खाने की घोषणा कर दी। खाने की मेज़ पर कश्मीरी, पंजाबी और अंग्रेजी खाने पहले ही चुन दिए गए थे। खाने की घोषणा के बाद सभी उस ओर बढ़ गए।
रशीद पूनम के साथ मेज़ तक आया और खानों तक पहुंचने में उसकी सहायता करने लगा। पूनम को इस पार्टी की चहल-पहल बहुत भली लग रही थी। खाने की प्लेट हाथ में लिए वह एक ओर खड़ी महिलाओं के पास चली गई। सभी महिलाएं शायद पुरुषों के अधिक पीने-पिलाने से ऊब चुकी थीं और अब खाना खाती हुई चहकने लगी थीं। वही घिसे-पिटे औरतों के विषय चल रहे थे। किसी की साड़ी या गहने की प्रशंसा, किसी के फ़ैशन पर टिप्पणी, कोई रसोई-घर का वर्णन, आया, नौकरानियों की बातें और अपने पतियों के गुणों की चर्चा।
पूनम चुपचाप खड़ी सबकी बातें सुन रही थी और मन-ही-मन अपने भावी जीवन के बारे में सोच रही थी। जब उसका रणजीत से ब्याह हो जाएगा... वह भी गृहिणी बन जाएगी और सहेलियों से यही बातें किया करेगी।
''तुम इन चहकती बुलबुलों में चुपचाप खड़ी क्या सोच रही हो?'' अचानक रशीद ने उसके पास आकर पूछा।
''घर संसार के बारे में।''
''घर संसार...।'' रशीद ने आश्चर्य से दोहराया।
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