लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> वापसी

वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

363 पाठक हैं

सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

'यह तो तुमने अच्छा किया। और सुनाओ, कैसे हो?'' रशीद मुस्कराकर बोला।

''अरे यार, क्या पूछते हो...जंग के बाद तो हमारी ढिबरी टाइट करके रख दी है सरकार ने। जानते हो, इतने ही दिनों में छ: ड्यूटियां बदल चुका हूं। अब जाकर कहीं आराम मिला है।''

''अब किस ड्यूटी पर हो?'' रशीद ने यों ही सरसरी ढंग से पूछा।

''दुश्मन के जासूसों का पता लगाने की ड्यूटी।'' गुरनाम ने सोफे पर पहलू बदलते हुए कहा। और थोड़ा रुककर बोला-''इसी संबंध में यहां आया हूं।''

''गुरनाम की बात सुनते ही रशीद के मस्तिष्क को झटका-सा लगा। लेकिन उसने झट अपने आपको संभालते हुए बात का विषय बदल दिया और अर्दली को पुकारकर गुरनाम के रहने और खाने का प्रबंध करने के लिए कहा।

''रणजीत यार...खाने की क्या जल्दी है। ज़रा पीने का प्रबंध कर दो, ताकि रात को गपशप का मज़ा आ जाए।''

''आज रात मेरा तो खाना मैस में है। कर्नल चौधरी को 'सैंड आफ़' दिया जा रहा है।''

''अरे...वह कर्नल चौधरी, जो जंग से पहले हमारा सी० ओ० था?''

''नहीं गुरनाम...यह वह चौधरी नहीं।''

''तो क्या हुआ। हम भी उस पार्टी में आएंगे। तेरे 'गेस्ट' बनकर। अफसरों से जान-पहचान करने का अच्छा अवसर मिल जाएगा।''

''ठीक है...'' रशीद ने धीरे से कहा और गुरनाम ने सोफे पर पहलू बदलते हुए अर्दली को चाय लाने के लिए कह दिया।

रशीद ने कमरे में बिखरे हुए सामान को देखकर अर्दली से गुरनाम का सामान ले जाकर दूसरे कमरे में टिका देने को कहा।

''तो कितने बजे चलना होगा?'' गुरनाम ने अपने ठाठे को संवारते हुए पूछा।

''यही कोई आठ बजे।''

''तो समझो खालसा साढ़े सात बजे तैयार।''

थोड़ी देर में अर्दली चाय की बड़ी ट्रे ले आया और रशीद गुरनाम के लिए चाय बनाने लगा। गुरनाम ने तिरछी नज़र से उसे देखते हुए पूछा-''पूनम मिली क्या?''

''मिली।'' रशीद ने प्याली में चाय डालते हुए धीरे से कहा।

''शादी की कोई तारीख ठहरी?''

''नहीं...। वह तो मां ठहराएगी।''

''सुना है, तू मां से मिलने भी नहीं गया।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book