लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> वापसी

वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

363 पाठक हैं

सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

15

दूसरे दिन सुबह जब पूनम होटल अकबर पहुंची तो रशीद होटल छोड़कर जा चुका था। यह सूचना मिलते ही पूनम के दिल को भारी ठेस पहुंची और वह रिसेप्शन काउंटर पर ही खड़ी रह गई। इससे पहले कि वह रिसेप्शनिस्ट लड़की से क़ुछ और पूछती, उस लड़की ने स्वयं ही कहा-''आप ही मिस पूनम हैं?''

''जी...'' अपना नाम सुनकर वह आश्चर्य से उसे देखने लगी।

''आपके नाम कैप्टन रणजीत एक संदेश छोड़ गए हैं...।'' लड़की ने कहा और मुस्कराकर काउंटर की दराज़ से एक लिफ़ाफ़ा निकालकर पूनम को थमा दिया।

पूनम ने बेचैनी से लिफ़ाफ़ा खोला और काउंटर से परे हटकर रशीद का पत्र पढ़ने लगी। लिखा था-

''डियर पूनम!

रात न जाने अचानक मुझे क्या हो गया...वास्तव में मेरी मानसिक स्थिति इन दिनों कुछ असंतुलित-सी हो गई है...इसका कारण मैं नहीं जान सका...आशा करता हूं, तुम मेरे इस अनुचित व्यवहार को क्षमा कर दोगी।

मैं मनाली जा रहा हूं...मां के पास...। वहां तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगा। आने की सूचना देना।''

तुम्हारा

'रणजीत'

पूनम ने इस संक्षिप्त पत्र को कई बार पढ़ा और रणजीत की इस मानसिक स्थिति के बारे में सोचने लगी। रात भी वह घंटों इसी विषय पर विचार करती रही थी...कहीं ऐसा तो नहीं कि लंबी कोर्टशिप के बाद रणजीत का दिल उससे ऊब गया हो और वह उसे स्थगित करने के लिए कोई ड्रामा खेल रहा हो... आख़िर वह कौन-सी मानसिक उलझन है जो रणजीत को उससे दूर लिए जा रही है। इन्हीं विचारों में रशीद का पत्र हाथ में लिए वह खड़ी थी कि सहसा 'हैलो' की एक सुरीली आवाज़ ने उसे चौंका दिया। उसने पलटकर देखा तो रुख़साना गुलाबी रंग के सलवार सूट में लहराती हुई सामने ज़ीने से उतर रही थी। पूनम ने जल्दी से पत्र मोड़कर, बैग में डाल लिया। रुख़साना ने दूर ही से उसकी इस हरकत को देख लिया था। मुस्कराते हुए पास आकर उसने पूनम से पूछा-''रणजीत का खत है क्या?''

''हां...उन्हीं का है...आज सबेरे वे चले गए।''

''मैं जानती हूं...मां से मिलने के लिए बहुत बेचैन था वह।''

''क्या तुमसे मिलकर गए हैं वे?''

''नहीं...लेकिन उसके दिल की कैफ़ियत मुझसे छिपी नहीं रहती।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book