ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
उजाला होते ही बैरे अंदर आए और खाना सर्व करने लगे। पूनम जो भूख से बेचैन हो उठी थी, झट खाने पर टूट पड़ी। रशीद मुस्करा उठा और वह भी उसका साथ देने लगा।
थोड़ी देर बाद रुख़साना नाच का लिबास बदलकर एक रेशमी मैक्सी पहने लहराती हुई आई और उनके पास बैठ गई। उसके हाथ में व्हिस्की का एक गिलास था। मुस्कराते हुए उसने उन दोनों को बारी-बारी से देखा और बोली-''हैलो...।''
''रुख़साना तुम...!'' उन दोनों की ज़बान से एक साथ निकला।
नहीं, मिस लिली...रुख़साना कश्मीर में थी...यहां मिस लिली हूं।'' रुख़साना ने गिलास से एक सिप लेते हुए कहा।
''यह तुमने अपना नाम क्यों बदल लिया?'' पूनम ने आश्चर्य से पूछा।
''हर नई जगह मेरा नाम बदल जाता है...कश्मीर में रुख़साना दिल्ली में लिली और बम्बई में अनारकली।'' कहते हुए उसने गिलास से एक और सिप लिया।
''लेकिन वास्तव में तुम हो क्या?'' पूनम ने कहा और अपनी बात स्पष्ट करने के लिए बोली-''मेरा मतलब है हिन्दू हो...मुसलमान हो या क्रिश्चियन हो?''
''मैं सिर्फ़ औरत हूं...औरत। और औरत का कोई धर्म नहीं होता...धर्म तो बस मर्दों का होता है। औरत जिस धर्म के मर्द से शादी करती है, वही उसका धर्म है।''
''तो शायद जान से शादी करने के बाद...।''
''नाम मत लो उस फ्राड का मेरे सामने।'' रुख़साना ने गुस्से से पूनम की बात काटते हुए कहा।
''फ्राड।'' रशीद के मुंह से अनायास निकल गया।
''ये फ्राड...पाकिस्तानी जासूस था वह।''
''क्या कह रही हो तुम?'' पूनम का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया। उसने प्रश्नसूचक दृष्टि से रशीद की ओर देखा, जो स्वयं घबरा रहा था कि कहीं नशे की तरंग में रुख़साना उसका भी भेद न खोल दे। लेकिन रुख़साना ने कनखियों से उसकी ओर देखते हुए आंखों ही आंखों में उसे सन्तुष्ट रहने का संकेत किया और सिगरेट सुलगाकर उसका धुआं उड़ाती हुई बोली-मैं कैबरे से अच्छी खासी कमाई कर रही थी कि उसने शादी का वादा करके मुझसे मेरा धंधा छुड़वा दिया और मुझे अपने काम के लिए इस्तेमाल करने लगा...मैं मोहब्बत की भूखी थी...उसके इशारों पर नाचती रही...लेकिन मतलब निकल जाने पर वह मुझे अकेला छोड़कर पाकिस्तान भाग गया।''
''भाग नहीं गया...बार्डर पर पकड़ा गया था...उसने आत्महत्या कर ली।'' रशीद ने उसे बताया।
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