ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
हाल की गहमागहमी एकाएक निस्तब्धता में बदल गई और हर कोई उस सुन्दरी को देखने लगा जो पश्चिमी संगीत की धुन के साथ हाल में प्रविष्ट हुई थी। अपने अर्ध-नग्न शरीर का प्रदर्शन करते हुए वह कैबरे डांस के साथ गाने लगी। उसके संक्षिप्त से काले रेशमी लिबास में जड़े हुए सितारों पर स्पाट लाइट का प्रकाश पड़ रहा था और कई दर्शकों के मुंह मे सिसकारियां-सी निकल रही थीं। वह नागिन के समान बलखाती हुई जब अपने गोरे गदराए शरीर को थिरकाती तो लोग दिल थाम-थाम लेते।
पूनम और रशीद दोनों ध्यानपूर्वक उसे यों देख रहे थे, जैसे उसे पहले कहीं देखा हो और अब पहचानने कर प्रयत्न कर रहे हों। फिर अचानक पूनम के मुंह से निकला''अरे, यह तो रुख़साना है...कश्मीर वाली।''
''हां-हां, है तो वही। लेकिन यह यहां कैसे आ गई?'' रशीद ने आश्चर्य से कहा।
उनके यों अचानक बोल पड़ने पर आस-पास बैठे लोगों ने घूर कर उन्हें देखा और वे दोनों झेंप कर चुप हो गये। लेकिन रुख़साना को वे निरन्तर ध्यानपूर्वक देखते रहे।
रुख़साना को अचानक वहां देखकर रशीद का मूड ख़राब हो गया था और वह कुछ उकताया-सा दिखाई दे रहा था। रुख़साना नाचती हुई अचानक रशीद की मेज़ के सामने से गुज़री और उसके साथ वाली मेज़ पर एक नौजवान का झुककर चुम्बन लेती हुई आगे बढ़ गई। रशीद और पूनम ने उसकी इस असभ्य हरकत पर बुरा-सा मुंह बनाया।
''रुख़साना...लिली...! यह माजरा क्या है?'' पूनम ने बहुत धीमे से रशीद के कान में कहा।
''यही तो मैं भी सोच रहा हूं।'' रशीद जानते हुए भी अनजान बनकर बोला...और फिर क्षण भर रुक कर कहने लगा...''जरूर इसमें कोई भेद है।''
''होगा...छोड़ो...अब लिली हो या रुख़साना...हमें क्या?'' पूनम लापरवाही से बोली।
''हो सकता है एक ही शकल की दो लड़कियां हों।'' रशीद थोड़ी देर चुप रहकर बोला।
''आप भी क्या बेतुकी सोचते हैं...यह भी कोई फ़िल्म है, जहां हीरो जुड़वां का और हीरोइन जुड़वां बहन का डबल रोल करती हैं।''
पूनम की बात सुनकर रशीद अनायास मुस्करा पड़ा। नाच क्लाइमेक्स पर पहुंच गया। लिली एक बार बिजली की-सी तेज़ी के साथ लहराई और फिर अचानक ही उसके क़दम रुक गए। हाल तालियों से गूंज उठा...हाल फिर रोशनी से जगमगा उठा, लेकिन प्रकाश होने से पहले ही डांसर ग़ायब हो चुकी थी।
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