ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
''घंटे दो घंटे के लिए भी कहीं जाती हूं तो चिंता लगी रहती है। शाम को ड्यूटी पर जाती हूं तो इनकी देखभाल एक नौकर करता है। कुछ दिन के लिए बाहर जाना होता है तो किसी न किसी को इनके पास रखकर जाती हूं। कश्मीर गई थी तो कमला आंटी की लड़की रमा को बुला लिया था। लेकिन वहां भी इतने दिन डरती ही रही। न जाने मेरे पीछे क्या कर बैठें। दिन-ब-दिन हालत बिगड़ती ही जा रही है इनकी।'' पूनम ने दुःख भरे स्वर में रुक-रुककर कहा।
''अच्छा, अब अपनी बात बताओ।''
''कैसी हो तुम?'' रशीद ने उसका ध्यान हटाने के लिए विषय भदलना चाहा।
''अच्छी हूं। लेकिन आप कब आए?''
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