ई-पुस्तकें >> तिरंगा हाउस तिरंगा हाउसमधुकांत
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समकालीन कहानी संग्रह
ट्यूशन का सच
हिन्दी प्रेमी जोगेन्द्र शास्त्री जी ने बच्चे को समझाने का प्रयत्न किया- प्यारे विद्यार्थियों ये जो लोहे की गोलियाँ आपको खिलाने के लिए आयी हैं इससे आपको बहुत लाभ होगा। इन लोहे की गोलियां खाने से आपकी बुद्धि का विकास हो जाएगा। इनसे आपके शरीर में रक्त की वृद्धि होगी तो आपका शरीर और मन दोनों पूर्ण स्वस्थ हो जाएंगे इसलिए आपको ये लोहे की गोलियां खुशी-खुशी खा लेनी चाहिए.......।
गुरू जी ‘लोहे के चने चबाने का मुहावरा तो आपने सिखाया था परन्तु ये लोहे की गोलियां पाठ्यक्रम में कहाँ से आ गयी’ - एक छात्र ने खड़े होकर शास्त्री जी के सम्मुख प्रश्न किया।
‘समझा..... तो बच्चों आप मेरी बात का अर्थ नहीं समझे। मेरा मतलब है लौहभस्म की गोलियां अर्थात आयरन टेबलेट सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से आपका स्वास्थ्य वृद्धि के लिए भेजी हैं......।
‘गुरू जी टी.वी. और अखबारों में प्रतिदिन आ रहा है कि इसके खाने से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं.... किसी को उल्टी लग जाती है तो किसी को पेट दर्द...’ रमन ने कहा तो पूरी कक्षा ने उसकी हाँ में हाँ मिला दी। कुछ खड़े होकर कुछ बैठे-बैठे अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देने लगे। मेज थपथपाकर शास्त्री जी ने बच्चों को चुप कराया।
बातें करना बन्द करो मैं श्यामपट्ट पर लिखकर तुम्हें लौहभस्म की गोलियाँ खाने के लाभ समझाता हूँ। जोरदार आवाज में डांटते हुए शास्त्री जी ने सबको चुप कराया और जैसे ही शास्त्री जी श्यामपट्ट पर गोलियों के लाभ लिखने लगे, गोलियों से भयभीत छात्र पिछले द्वार से एक-एक निकलकर बाहर चले गए। शास्त्री ने ध्यान दिया तब तक अगले बैन्च पर केवल तीन छात्र बैठे थे। शास्त्री जी मुख्याध्यापक जी को भरपूर आश्वासन देकर आए थे कि बच्चों को प्रेरित करके गोलियां खिलवा देंगे। परन्तु अब मुख्याध्यापक जी को क्या कहेंगे......?
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