ई-पुस्तकें >> श्रीहनुमानचालीसा श्रीहनुमानचालीसागोस्वामी तुलसीदास
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हनुमान स्तुति
श्रीहनुमान चालीसा
।। दोहा ।।
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।।
बरनउँ रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।
बुद्घिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार ।।
बल बुद्घि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार ।।
।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।1।।
रामदूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।2।।
महावीर बिक्रम बजरंगी ।।1।।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।3।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।।1।।
कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।4।।
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै ।।1।।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।5।।
संकर सुवन केसरी नन्दन ।
तेज प्रताप महा जगबन्दन ।।6।।
विद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।7।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।8।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।9।।
भीम रूप धरि असुर संहारे ।
रामचन्द्र के काज संवारे ।।10।।
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