ई-पुस्तकें >> श्रीगणेशचालीसा श्रीगणेशचालीसाराम सुन्दर दास
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गणेश स्तुति
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे।।31
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा।।32
चले षडानन भरमि भुलाई।
रची बैठ तुम बुद्धि उपाई।।33
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें।।34
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे।।35
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहस मुख सकै न गाई।।36
मैं मति हीन मलीन दुखारी।
करहुँ कौन विधि विनय तुम्हारी।।37
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
लख प्रयाग ककरा दुर्वासा।।38
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी भक्ति शक्ति कुछ दीजै।।39
ll दोहा ll
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करे धर ध्यान l
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ll40
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