लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> श्रीदुर्गा चालीसा

श्रीदुर्गा चालीसा

देवीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :10
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9725
आईएसबीएन :9781613012215

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

208 पाठक हैं

माँ भवानी की स्तुति


रक्षा कर प्रहलाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।।11।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं।।12।।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा।।13।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जाय बखानी।।14।।

मातंगी धूमावति माता।

भुवनेश्वरि बगला सुख दाता।।15।।

श्री भैरव तारा जग तारिनि।

छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी।।16।।

केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी।।17।।

कर में खप्पर खड्ग विराजै।

जाको देख काल डर भाजै।।18।।

सोहै अस्त्र और तिरसूला।

जाते उठत शत्रु हिय सूला।।19।।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहूं लोक में डंका बाजत।।20।।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai