ई-पुस्तकें >> श्रीदुर्गा चालीसा श्रीदुर्गा चालीसादेवीदास
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माँ भवानी की स्तुति
रक्षा कर प्रहलाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।।11।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं।।12।।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा।।13।।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जाय बखानी।।14।।
मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरि बगला सुख दाता।।15।।
श्री भैरव तारा जग तारिनि।
छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी।।16।।
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी।।17।।
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै।।18।।
सोहै अस्त्र और तिरसूला।
जाते उठत शत्रु हिय सूला।।19।।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहूं लोक में डंका बाजत।।20।।
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