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श्रीदुर्गा चालीसा

देवीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :10
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9725
आईएसबीएन :9781613012215

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माँ भवानी की स्तुति


।। श्रीदुर्गायै नमः।।

।। श्रीदुर्गाचालीसा।।


नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।।1।।

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी।।2।।

शशि ललाट मुख महा विशाला।

नेत्र लाल भृकुटी विकराला।।3।।

रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरस करत जन अति सुख पावे।।4।।

तुम संसार सक्ति लय कीन्हा।

पालन हेतु अन्न धन दीन्हा।।5।।

अन्नपूर्णा हु‌ई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला।।6।।

प्रलयकाल सब नासन हारी।

तुम गौरी सिव संकर प्यारी।।7।।

सिव योगी तुम्हरे गुन गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।।8।।

रूप सरस्वति को तुम धारा।

दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन्ह उबारा।।9।।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भ‌ई फाड़कर खम्बा।।10।।

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