ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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तलफ़्फ़ुज़ों की जिरह और बयान के झगड़े
तलफ़्फ़ुज़ों की जिरह और बयान के झगड़े।
ग़ज़ल की जान न ले लें ज़बान के झगड़े।।
नमाज़-आरती, पूजा-अज़ान के झगड़े,
अजब तरह के हैं हिन्दोस्तान के झगड़े।
लड़े हैं लोग, किताबें कभी नहीं लड़तीं,
कहीं सुने भी हैं गीता-कुरान के झगड़े।
ज़मीं के झगड़े हैं दुनिया में, वतन में, घर में,
कहाँ परिन्दों में हैं आसमान के झगड़े।
जहां से ज्यों ही उठा ख़ानदान का मुखिया,
अदालतों में गये ख़ानदान के झगड़े।
दुहाई अम्न की दुनिया को दे रहा है मगर,
उसी के बोये हैं सारे जहान के झगड़े।
ये सिर्फ हाथ मिलाने से मिट न पायेंगे,
मिलाओ दिल तो मिटें दरमियान के झगड़े।
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