ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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दिल को क्या सूझी है क्या गुल ये खिलाना चाहे
दिल को क्या सूझी है क्या गुल ये खिलाना चाहे।
क़ैद से छूट के फिर क़ैद में आना चाहे।।
कौन होगा जो न सीने से लगाना चाहे,
जब नदी कोई समन्दर में समाना चाहे।
आग बुझ जाती है पानी का बदन छूते ही,
लग भी सकती है, अगर कोई लगाना चाहे।
प्यार ख़ुश्बू है वो सांसों से महक जायेगा,
छुप नहीं सकता कोई लाख छुपाना चाहे।
अपनी परवाज़ से ग़ाफ़िल है परिन्दा शायद,
आस्मां छोड़ के पिंजरे को बसाना चाहे।
प्यार जंगल में तपस्या से नहीं मिलता है,
तुम ज़माने को जो चाहो तो ज़माना चाहे।
जाओ जाते हो मगर लौट के तुम आओगे,
हमसे वादा तो करो, फिर न निभाना चाहे।
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