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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
75
खोले न ज़ुबाँ लाख मगर बोल उठेगा
खोले न ज़ुबाँ लाख मगर बोल उठेगा।
आँखों से गुनहगार की डर बोल उठेगा।।
छुप जाये कोई ऐब ज़माने से भले ही,
आईने से मिलते ही नज़र बोल उठेगा।
शाखों पे नशेमन हैं परिन्दों के हवाओं,
बिखरेंगे नशेमन तो शजर बोल उठेगा।
दीवारें भी सुन लेती हैं अफ़साना दिलों का,
जज़्बात पुकारेंगे तो घर बोल उठेगा।
दुनिया उसे जब भी नज़र अंदाज़ करेगी,
फ़नकार न बोलेगा हुनर बोल उठेगा।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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