ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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मेरी ख़ामोशियों में भी, फ़साना ढूंढ़ लेती है
मेरी ख़ामोशियों में भी, फ़साना ढूंढ़ लेती है।
बड़ी शातिर है ये दुनिया, बहाना ढूंढ़ लेती है।।
हक़ीक़त ज़िद किये बैठी है चकनाचूर करने को,
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूंढ़ लेती है।
उठाती है जो ख़तरा हर क़दम पर डूब जाने का,
वही कोशिश समन्दर में ख़ज़ाना ढूंढ़ लेती है।
न कारोबार है कोई न चिड़िया की कमाई है,
वो केवल हौसले से आबो-दाना ढूंढ़ लेती है।
समझ पाई न दुनिया, मस्लहत मंसूर की अबतक,
सलीबों पर जो हँसना-मुस्कराना ढूंढ़ लेती है।
जुनूँ मंज़िल का, राहों में बचाता है भटकने से,
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है।
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