ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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पनपता जिसके दिल में है उसी को चाट जाता है।
पनपता जिसके दिल में है उसी को चाट जाता है।
ये कीड़ा है जो शक का ज़िन्दगी को चाट जाता है।।
गृहस्थी में कभी रूठें-मनायें ठीक है, लेकिन,
हो झगड़ा रोज़ तो घर की खुशी को चाट जाता है।
जिन्हें है नाज़ सूरज चाँद होने का उन्हें कह दो,
ग्रहन लगता है तो वो रौशनी को चाट जाता है।
‘तसल्ली’ जैसे हो सहरा में चश्मा मीठे पानी का,
‘हवस’ जलता हुआ सहरा नदी को चाट जाता है।
सिमट कर जैसे आ जाये समंदर एक क़तरे में,
कोई ऐसा भी लम्हा है, सदी को चाट जाता है।
ग़ज़ल की परवरिश करने पे खुश होना तो लाज़िम है,
ग़ुरूर आ जाये तो फिर शायरी को चाट जाता है।
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