ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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जिसकी आँखों में हया, और दिल में ख़ुद्दारी नहीं
जिसकी आँखों में हया, और दिल में ख़ुद्दारी नहीं।
आजकल जीने में उसको, कोई दुश्वारी नहीं।।
मुल्क की हालत बिगड़ती जा रही है दिन-ब-दिन,
और दिल्ली कह रही है, कोई बीमारी नहीं।
आग सीने में भरी हो, ये तो अच्छी बात है,
कूद जाना आग में, कोई समझदारी नहीं।
हमने ऐसे सूरमा तो आज तक देखे नहीं,
जंग लड़ने चल दिए हैं कोई तैयारी नहीं।
मौत से लड़ती रही,फिर भी है ज़िन्दा आजतक,
जाने कितना हौसला है, ज़िन्दगी हारी नहीं।
ख़ूबसूरत भी है, दिलकश भी है, दरियादिल भी है,
उसमें सारी ख़ूबियाँ हैं, बस वफ़ादारी नहीं।
इसलिये ‘राजेन्द्र’ शामिल हो न पाया भीड़ में,
उसमें फ़नकारी तो है लेकिन अदाकारी नहीं।
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