ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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उसने इल्ज़ाम लगाया कि बाल आया क्यों
उसने इल्ज़ाम लगाया कि बाल आया क्यों।
आईना चीख के बोला तो दिल दुखाया क्यों।।
दिल जो बतलाना भी चाहे बता नहीं सकता,
वो जो अपना था वही हो गया पराया क्यों।
हाथ आया जो कभी तो उसी से पूछूँगा,
छोड़ जाता है बुरे दिन में साथ साया क्यों।
देखते बनते हैं चेहरे तमाशबीनों के,
डूबने वाले को दरिया ने ख़ुद बचाया क्यों।
लाख समझाओ गया वक़्त कब पलटता है,
तुमको मौक़ा जो मिला था उसे गवांया क्यों।
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