ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
|
4 पाठकों को प्रिय 258 पाठक हैं |
मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
18
शह दी है पियादे ने कोई बात नहीं है
शह दी है पियादे ने कोई बात नहीं है।
बाक़ी है अभी खेल अभी मात नहीं है।।
फस्लें न उगेंगी न कभी प्यास बुझेगी,
ये ओस की बूँदें हैं ये बरसात नहीं है।
नन्हा सा दिया देख के घबराये जो सूरज,
ये क़द की बुलन्दी है करामात नहीं है।
कहते हैं कोई शहर में अब भी है वफा़दार,
हालाँकि मेरी उससे मुलाका़त नहीं है।
मज़हब की सलाख़ों में मुझे क़ैद न करना,
इन्सान हूँ मैं कोई मेरी जात नहीं है।
|