लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा

रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा

रामप्रसाद बिस्मिल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :216
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9718
आईएसबीएन :9781613012826

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

198 पाठक हैं

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बिस्मिल जी की आत्मकथा

एक दूसरा व्यक्ति  जो बहुत वीर था, पुलिस उसके पीछे पड़ी हुई थी। एक दिन पुलिस कप्ताथन ने सवार तथा तीस-चालीस बन्दूक वाले सिपाही लेकर उनके घर में उसे घेर लिया। उसने छत पर चढ़कर दोनाली कारतूसी बन्दूक से लगभग तीन सौ फायर किए। बन्दूक गरम होकर गल गई। पुलिस वाले समझे कि घर में कई आदमी हैं। सब पुलिस वाले छिपकर आड़ में से सुबह की प्रतीक्षा करने लगे। उसने मौका पाया। मकान के पीछे से कूद पड़ा, एक सिपाही ने देख लिया। उसने सिपाही की नाक पर रिवाल्वर का कुन्दा मारा। सिपाही चिल्लाया। सिपाही के चिल्लाते ही मकान में से एक फायर हुआ। पुलिस वाले समझे मकान ही में है। सिपाही को धोखा हुआ होगा। बस, वह जंगल में निकल गया। अपनी स्त्री  को एक टोपीदार बन्दूक दे आया था कि यदि चिल्लाहट हो तो एक फायर कर देना। ऐसा ही हुआ। और वह निकल गया। जंगल में जाकर एक दूसरे दल से मिला। जंगल में भी एक समय पुलिस कप्ताएन से सामना हो गया। गोली चली। उसके भी पैर में छर्रे लगे थे। अब यह बड़े साहसी हो गए थे। समझ गए थे कि पुलिस वाले किस प्रकार समय पर आड़ में छिप जाते हैं।

इन लोगों का दल छिन्न-भिन्न हो गया था। अतः उन्होंने मेरे पास आश्रय लेना चाहा। मैंने बड़ी कठिनता से अपना पीछा छुड़ाया। तत्पश्चा त् जंगल में जाकर ये दूसरे दल से मिल गए। वहाँ पर दुराचार के कारण जंगल के नेता ने इन्हें गोली से मार दिया। इस प्रकार सब छिन्न-भिन्न हो गया। जो पकड़े गए उन पर कई डकैतियां चली। किसी को तीस साल, किसी को पचास साल, किसी को बीस साल की सजाएं हुईं। एक बेचारा, जिसका किसी डकैती से कोई सम्बन्ध न था, केवल शत्रुता के कारण फंसा दिया गया। उसे फांसी हो गई और सब प्रकार डकैतियों में सम्मिलित था, जिसके पास डकैती का माल तथा कुछ हथियार पाए गए। पुलिस से गोली भी चली, उसे पहले फांसी की सजा की आज्ञा हुई, पर पैरवी अच्छी हुई, अतएव हाईकोर्ट से फांसी की सजा माफ हो गई, केवल पांच वर्ष की सजा रह गई। जेल वालों से मिलकर उसने डकैतियों में शिनाख्त न होने दी थी। इस प्रकार इस दल की समाप्ति  हुई। दैवयोग से हमारे अस्त्रइ बच गए। केवल एक ही रिवाल्वर पकड़ा गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai