ई-पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँकन्हैयालाल
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मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ
2. अन्त भला, सो सब भला
अमेरिकन-राष्ट्रपति 'लिंकन' के विरोधी अखबारों में जी खोलकर उनकी बुराई करते, किन्तु लिंकन अविचलित भाव से अपने काम में जुटे रहते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने उनसे कहा - 'विरोधी लोग आपके खिलाफ चाहे जैसी अनेकों ऊल-जलूल बातें अखबारों में प्रकाशित कराते रहते हैं, उनकी बातों का प्रत्युत्तर आपको भी तो देना चाहिए।'
मित्र की बात सुनकर लिंकन मुस्कराते हुए बोले-'मित्र! यदि मैं अपनी आलोचनाओं का उत्तर ही देने लगूँ तो मैं दिनभर केवल इसी काम को कर पाऊँगा। मेरे कार्यालय में फिर कोई अन्य कार्य हो ही न सकेगा। मेरा तो एक ही उद्देश्य है-अपनी सारी योग्यता और शक्ति का उपयोग करते हुए ईमानदारी पूर्वक अपना काम करना, वह मैं जानता हूँ और इस पद पर रहने की अन्तिम घड़ियों तक करता रहूँगा।'
‘यदि मैं अन्त में बुरा सिद्ध होता हूँ, तो मैं भले ही लाख सफाई देता रहूँ कि मैं सही था, मेरा रास्ता सही था - कोई इस बात को न सुनेगा और यदि मैं अन्त में भला सिद्ध होता हूँ तो मेरे विषय में जो प्रलाप किया जा रहा है, वह निश्चित रूप से अनर्गल सिद्ध होगा। मुझे न चिन्ता है और न भय, आप भी चिन्तित न हों।'
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