ई-पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँकन्हैयालाल
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मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ
13. हौसला
एक फौजी-सिपाही लँगड़ा था। एक दिन उसकी टाँग को देखकर उसके साथी हँसने लगे तो उनकी हँसी-में-हँसी मिलाता हुआ वह बोला - 'मैं कमर कसकर युद्ध करने वाला बहादुर-सिपाही हूँ, पीठ दिखाकर भागने वाला कायर नहीं। मेरी टाँग को क्या देखते हो, टाँग तो केवल भागने के काम आती है। समय आने पर मेरे हौसले को देखना।'
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