ई-पुस्तकें >> परसाई के राजनीतिक व्यंग्य परसाई के राजनीतिक व्यंग्यहरिशंकर परसाई
|
10 पाठकों को प्रिय 194 पाठक हैं |
राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।
नेल्सन मंडेला जैसे दृढ़ साहस और विश्वास को आदमी कम मिले। इसे कई बार शर्तों के साथ छोड़ देने की पहल सरकार ने की पर उसने स्पष्ट कह दिया किसी शर्त के साथ मैं जेल से रिहा नहीं होऊँगा। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस आखिर अपने संघर्ष में जीती। नेल्सन मंडेला रिहा हुए और पार्टी के अध्यक्ष चुने गए तब इस दंपत्ति के मनोबल को तोडने के लिए तरह-तरह की कलंक कथाएँ गोरों ने फैलाई। यह कि विनी चरित्रहीन है, अपने आसपास के युवकों से हिंसा कराती है। उस पर कई आरोप लगाए गए। इन सबका बुरा प्रभाव पार्टी पर पड़ता। इनमें से कुछ आरोप सच भी थे। नेल्सन ने पार्टी के भले के लिए विनी से संबंध तोड़ लिए। पर विनी धीरज के साथ कार्य में लगी रही जब नई सरकार बननेवाली थी तब तक उसने अपने व्यक्तित्व को साफ कर लिया था। उसे नई सरकार में पद दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में गोरों और कालों की मिली जुली सरकार है। इनमें पुरानी कटुता पूरी तरह गई नहीं है। पर उन्होंने तालमेल बैठा लिया है और साथ काम करते हैं। विनी शादी के समय युवती थी कई साल के संघर्ष के बाद अब वह बुढ़ापे की तरफ बढ़ रही है।
अब मैं भारतीय साहित्य में बहुचर्चित एक भारतीय स्त्री पार्वती के बारे में लिखता हूँ। शरतचंद्र के साहित्य को पढ़ने के बाद बात सामने आती है। बड़े किसानों जमींदारों गाँवों के धनपतियों के बिगड़ैल या घर से निकाले या स्वयं निराश पीड़ित युवक कलकत्ता भाग जाते हैं इस बहाने कि वहाँ होम्योपैथिक पढ़ेंगे। फिर वहाँ मैस में रहते हैं और होम्योपैथी तो नहीं पढ़ते, शराबखोरी और वेश्यागमन करते हैं। घर से इन्हें पैसे आते ही हैं। यही हाल देवदास का है और यही काशीनाथ का। कलकत्ता में हास्टल या छात्रावास की तरह मैस होते हैं, ये होटल से बिलकुल अलग तरह के होते हैं। इनमें निवास, भोजन, पूजन आदि की व्यवस्था होती है। ये प्रतिष्ठित होते हैं। उठाईगिर किस्म के लोग नहीं रहते। कम से कम शरतचंद्र के जमाने में मैस का रूप ऐसा ही था।
सतीशचंद्र एक युवक है एक संपन्न परिवार का, उसके बड़े भाई उसे घर से निकाल देते हैं और वह कलकत्ता जाकर मैस में रहता है तथा होम्योपैथी पढ़ता है। मैस की देखभाल करनेवाली एक तरह से मैनेजर पार्वती है। शरतचंद्र के उपन्यास 'चरित्रहीन' इन दोनों की कथा है। जब यह उपन्यास छपा तब बंगाली समाज में काफी हलचल हुई और विवाद खड़े हुए। इसका कारण था सतीश और पार्वती के संबंध साथ ही एक विवाहित उच्चवर्गीय स्त्री किरणमयी का जीवन। सतीश जिस मैस में रहता है, पार्वती इस नए छात्र को ध्यान देती है। सतीश बिगड़ा हुआ है। वह शराब पीता है और दूसरे नशे करता है। पार्वती उसे डाँटती है। इस तरह की वारदातें एक दो होती हैं और सतीश पार्वती के प्रति आकर्षित हो जाता है।
|