लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> नीलकण्ठ

नीलकण्ठ

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :431
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9707
आईएसबीएन :9781613013441

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

375 पाठक हैं

गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास

आनन्द ने अनुभव किया कि प्रेम की वास्तविक विजय यही है। उसमें भी आज वैसे ही बलिदान और साहस की भावनाएँ थीं जो उसने संध्या में देखी थीं। लोग सत्य ही कह रहे थे कि आज संध्या दीदी लौट आई थी।

आनन्द के लिए भी नया जीवन था। अंधेरे में मार्ग दिखाने वाली किरण - प्रसन्नता से उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े और पास जाकर उसका हाथ स्नेह से अपने हाथों में ले लिया और धीरे से उसके कान में बोला-'यह क्या?'

'आप तो कहते थे कि आपको दीदी की आत्मा चाहिए।'

शोर बढ़ता गया। बस्ती का हर व्यक्ति भारी-भरकम मशीनों को हटाने में व्यस्त था। सब अपने भाग्य का नवनिर्माण करने में लगे थे। आनन्द, बेला, अपाहिज मामू और सुंदर सब मजदूरों के संग लगे उनका हाथ बंटा रहे थे। अब वे संध्या के लगे पौधे को पहले से कहीं ऊँचा और हरा-भरा देखना चाहते थे जिससे वह पुन: किसी तूफान की लपेट में न आ सके।

।। समाप्त ।।

...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book