ई-पुस्तकें >> हनुमान बाहुक हनुमान बाहुकगोस्वामी तुलसीदास
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सभी कष्टों की पीड़ा से निवारण का मूल मंत्र
। 25 ।
करम-कराल-कंस भूमिपालके भरोसे,
बकी बक भगिनी काहूतें कहा डरैगी ।
बड़ी बिकराल बालघातिनी न जात कहि,
बाँहुबल बालक छबीले छोटे छरैगी ।।
आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख,
पाप जाय सबको गुनीके पाले परैगी ।
पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपिकान्ह तुलसीकी,
बाँहपरि महाबीर, तेरे मारे मरेगी ।।
भावार्थ - कर्मरूपी भयंकर कंसराजा के भरोसे बकासुर की बहिन पूतना राक्षसी क्या किसीसे डरेगी? बालकों को मारने में बड़ी भयावनी, जिसकी लीला कही नहीं जाती है, वह अपने बाहुबलसे छोटे छबिमान् शिशुओं को छलेगी। आप ही विचारकर देखिये, वह सुन्दर रूप बनाकर आयी है यदि आप-सरीखे गुणी के पाले पड़ेगी तो सभी का पाप दूर हो जायगा। हे महाबली कपिराज! तुलसी की बाहु की पीड़ा पूतना पिशाचिनी के समान है और आप बालकृष्णरूप हैं, यह आपके ही मारने से मरेगी ।। 25 ।।
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