लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देवदास

देवदास

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :218
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9690
आईएसबीएन :9781613014639

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

367 पाठक हैं

कालजयी प्रेम कथा


'कच्ची-पक्की यहां कुछ नहीं हुई है।' मनोरमा ने व्यथित स्वर में कहा-'तू क्या कहती है, पारो कुछ भी समझ में नहीं आता।' पार्वती ने कहा-'तब देवदास से पूछकर मैं तुमको समझा दूंगी।' 'क्या पूछोगी? वह तुमसे ब्याह करेगे कि नहीं?' पार्वती ने सिर हिलाकर कहा-'हां, यही।' मनोरमा ने बड़े आश्चर्य के साथ पूछा-'क्या कहती हो पारो, क्या तुम स्वयं पूछोगी?' 'इसमें क्या दोष है, बहिन?'

मनोरमा अवाक् हो गयी, बोली-'क्या कहती हो? स्वयं?'

'हां, स्वयं नहीं तो और मेरी ओर से कौन पूछेगा?'

'लाज नहीं लगेगी?'

'लाज क्यों लगेगी? तुमसे कहने में क्या मैंने लज्जा की है?'

'मैं स्त्री हूं-तुम्हारी सखी हूं-किन्तु वे तो पुरुष हैं, पारो !'

इस पर पार्वती हंस पडी; कहा-'तुम सखी हो, तुम अपनी हो, किन्तु वे क्या दूसरे हैं? जो बात तुमसे कह सकती हूं, क्या वही बात उनसे नहीं कह सकती?'

मनोरमा अवाक् होकर उसके मुंह की ओर देखने लगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book