लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देहाती समाज

देहाती समाज

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :245
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9689
आईएसबीएन :9781613014455

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

80 पाठक हैं

ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यास


अब दो दिन बाद ही, बृहस्पतिवार को श्राद्ध होने वाला है। धीरे-धीरे पास-पड़ोस से सारे बड़े-बूढ़े, सगे-संबंधी जमा हो रहे हैं। घर में काम की चहल-पहल मची हुई है। नहीं आ रहे हैं तो उसी गाँव के लोग। सिर्फ भैरव आचार्य अपने घर वालों के साथ यहाँ काम में हाथ बँटा रहे हैं। उनके अलावा अन्य किसी के आने की आशा रमेश को न थी। यह आशा न होते हुए भी रमेश ने तैयारी पूरी की थी-बड़े जोर-शोर के साथ।

वे सवेरे से ही घर के अंदर काम में व्यस्त थे। जब बाहर निकल कर आए, उस समय बाहर की बैठक में बुजुर्ग लोग हुक्का पी रहे थे। जैसे ही वे उनके पास जा कर नम्रतापूर्वक कुछ कहने को हुए, वैसे ही उनके पीछे से किसी के आने की आहट पा, उधर मुड़ कर देखा कि एक सज्जन-जो काफी बूढ़े हैं, जिनके कंधो पर एक मैला दुपट्टा पड़ा है, नाक पर एक बड़ा-सा चश्मा है जिसकी कमानी टूट गई है और जो डोरी से कान पर विशेष रूप से साधा गया है, बाल सफेद हैं, मूँछें भी-जो हुक्के के धुएँ से कुछ धुआँरी हो गई हैं, अपने साथ पाँच-छह लड़के-लड़कियों की पलटन लिए, खाँसते हुए अंदर घुस रहे हैं। अंदर आ कर, थोड़ी देर तक तो उसी मोटे-से चश्मे के अंदर से, आँखें फाड़-फाड़ कर वे रमेश को घूरते रहे और फिर एकबारगी फूट कर रो पड़े। रमेश पहचान न सका कि ये सज्जन हैं कौन! रमेश ने घबरा कर, बढ़ कर उनका हाथ पकड़ा तभी वह भरे गले से बोले-'मुझे तो यह आशंका नहीं थी कि तारिणी मुझे इस तरह छोड़ कर चला जाएगा। मैं घोषाल की तरफ से ही होता हुआ आ रहा हूँ। लगी-चुपड़ी तो मुझे आती नहीं। मेरे चटर्जी वंश की परंपरा ही साफ बात करने की है, सो मैं उसके मुँह पर अब भी कहता आया हूँ कि हमारा रमेश श्राद्ध का जैसा इंतजाम कर रहा है-वैसा न हुआ है और न करना ही संभव है! इधर तो इतना बड़ा आयोजन देखा भी न होगा किसी ने!' थोड़ा रुक कर फिर बोले-'न जाने मेरे बारे में तुमसे ये लोग क्या-क्या लगी-लिपटी कह रहे होंगे! पर यह तुम जान लो कि मेरा नाम धर्मदास है और सचमुच ही मैं धर्म का दास हूँ।' और बूढ़ा अपने भाषण के गर्व में गोविंद गांगुली के हाथ से हुक्का ले, खूब जोर से कश खींचने और फिर खाँसने लगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai