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जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688
आईएसबीएन :9781613012765

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

''आग की एक छोटी-सी चिनगारी ही बड़े-बड़े मकानों को जला देती है। पानी की एक-एक बूंद जमा होकर ही नदियों, तलाब और झीलें बनती हैं। भले ही आज हम संख्या में थोड़े हैं, एक दिन देश का वच्चा-बच्चा हमारे साथ होगा। ब्रिटिश साम्राज्यसाही जड़ से उखाड़कर फेंक दी जाएगी।''

''तेरी इन बड़ी-बड़ी बातों को तो मैं कुछ समझ नहीं पाती। लेकिन यह तो मैं भी चाहती हूँ कि अपने देश का राज्य अपने देशवासियों के हाथ से ही होना चाहिये।''

''यह तो हम सब भी चाहते हैं। इसके लिए देश की ललनाओं और माताओं के त्याग की आवश्यकता है। फ्रांस के विजेता नेपोलियन बोनापार्ट ने ठीक ही कहा था, 'किसी देश का भविष्य वहाँ की माताओं पर निर्भर है।'

''यदि शिवाजी की माता जीजाबाई इतनी वीर न होतीं तो क्या वे महाराष्टू को कभी स्वतंत्र करा पाते। मैं चाहता हूँ, तुम भी माता जीजाबाई की तरह मुझे आशीर्वाद दो कि मैं अपने उद्देश्य में सफल हो सकूं।''

''अगर सरकार ने तुझे जेल में बन्द कर दिया तो फिर क्या होगा?''

''बुरे कर्म करके जेल जाना बुरा है। देश सेवा में जेल जाना तो तीर्थ-यात्रा के समान है। दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान् कृष्ण का जन्म भी तो जेल में ही हुआ था। आजकल भी हमारे देश के महान नेता लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू जेल-यात्रा कर चुके हैं! मां, तुमने तो धार्मिक पुस्तकॉ में पढा है कि अत्याचारियों के अत्याचार जब सीमा से बाहर निकल जाते हैं तो भगवान् स्वयं या अपनी किसी शक्ति के द्वारा उनका विनाश कर डालते हैं। अंग्रेजों के अत्याचार अब सीमा से बाहर जा रहे हैं। बहुत शीघ्र उनका पतन होने वाला है।

''अच्छी बात है, तू जैसा ठीक समझे। मेरा तो आशीर्वाद है, तू जुग-जुग जिए, कोई भी तेरा बाल बांका न कर सके। भगवान तेरे उद्देश्य में तुझे सफलता दे।''

''माँ तेरा आशीर्वाद यदि मेरे साथ रहेगा। मैं तेरी कोख से पैदा हुआ हूँ, तेरे दूध को लजाने वाली कोई बात न करूँगा। संसार में सब कुछ नाशवान है। एक दिन तू भी नहीं रहेगी, मैं भी नहीं रहूँगा, किन्तु तेरा नाम सदैव रहेगा। लोग यह कहकर तुझे याद करेंगे कि तू किस वीर की जननी थी।''

''जाओ, मेरे लाल। अपनी मातृभूमि के लिए सब कुछ निछावर कर दो। मैं हृदय से तुम्हारी भावनाओं का सम्मान करती हुई, तुम्हें आर्शावाद देती हूँ।''

तीनों ने आगे बढ़कर मॉ के चरण छुए और चल दिए।

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