ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
नंदी वृक्ष के औषधिक महत्त्व
0 जोड़ों के दर्द दूर करने में- इसकी जड़ को पर्याप्त मात्रा में सरसों के तेल में उबालें। इस तेल को बाद में छान कर रख लें। जोड़ों की मालिश इस तेल से करने पर उनका दर्द जाता रहता है।
0 लकवा ग्रसित अंगों पर- नंदी वृक्ष की जड़, भाँग का चूर्ण तथा काली मिर्च का चूर्ण-इन सब की 1-1 तोला मात्रा लेकर 100 ग्राम सरसों के तेल में भली प्रकार उबालकर, उस तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश सम्बन्धित भाग पर करने से लाभ होता है।
0 नेत्र पीड़ा में- नंदी वृक्ष के दूध को खोपरे के तेल में मिलाकर ललाट पर मलने से नेत्रों का दर्द ठीक होता है।
0 दंत पीड़ा में- इसकी जड़ को चबाने से दंत पीड़ा जाती रहती है। किन्तु इसके रस को निगलें नहीं। साथ ही कार्य हो जाने पर कुल्ला कर लें।
0 जख्मों को भरने हेतु- जख्मों पर नंदी वृक्ष का दूध लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। उनकी पीड़ा दूर होती है।
0 लिंग दृढ़ीकरण हेतु- चाँदनी के पेड़ की जड़ की लगभग 20 ग्राम मात्रा सरसों के तेल में उबालकर उसे छान कर रख लें। इस तेल से लिंग का मर्दन करने से वह दृढ़ होता है। इससे काम वृद्धि भी होती है।
ज्योतिष में इसके महत्त्व
अज्ञात हैं।
तंत्र में महत्त्व
0 इसके एक फूल को पूर्णिमा के दिन चाँद उदय होने के पश्चात् बावड़ी के जल में अथवा कूप में डालने से कर्ज में कमी आती है।
0 कई तांत्रिक हवनों में इसकी काष्ठ को लिया जाता है।
चाँदनी का वास्तु में महत्त्व
वास्तु की दृष्टि से इस पौधे का घर की सीमा में होना मध्यम है।
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