लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश

चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

139 पाठक हैं

सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

कैसी थी हमारी प्राचीन शल्य चिकित्सा पद्धति

भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली की प्राचीनता और महानता सभी स्वीकारते हैं। किन्तु यह भी एक परम सत्य है, कि आज जो शल्य चिकित्सा प्रचलित है, जिसे सामान्य जन, यूरोपीय देशों की देन मानते हैं। 'यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा का एक अंग है। इस प्रकार शल्य चिकित्सा का उद्गम स्थल भी भारत ही है।

पुराणों में अनेकों प्रसंग है, जिनमें शल्य चिकित्सा की झलक हमें देखने को मिलती है। उदाहरणार्थ देवासुर संग्राम में अनेक घायलों को पुन: युद्ध के योग्य बना दिया जाता था। इसी युद्ध में विपला का पैर टूट गया था, जिसे रात में काट कर उस स्थान पर लौह पग लगाकर उसे सुबह ही युद्ध में भेज दिया गया था। इसी प्रकार रुद्र द्वारा छेदित यक्ष-शिर को जोड़ने का वृतान्त, तथा एक देवता को नेत्र प्रदान करने का विवरण भी प्राचीन भारतीय शल्य चिकित्सा प्रणाली की बेजोड़ योग्यता को सिद्ध करते हैं। ऋग्वेद में अनेक स्थान पर नकली हाथ-पैर और नेत्र लगाने के वर्णन इसी बात के पक्ष में हैं।

भारतीय ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथों को जलाकर, उससे अपना पानी गर्म करने वाले ऐय्याश बादशाहों ने भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहरों को खाक में मिलाने में कोई कसर नहीं रखी, किन्तु फिर भी जो कुछ बचा है, उससे यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि जब समस्त संसार अज्ञान के अन्धकार में डूबा हुआ था उस समय भारत अपनी संस्कृति की रोशनी से जगमगा रहा था। उस समय हमारी चिकित्सा प्रणाली, शल्य, शालाक्य, काय चिकित्सा, अंगद तन्त्र, कौमार भृत्य, भूत विद्या, रसायन तन्त्र और वाणीकरण तन्त्र जैसे मणिमाणिक्यों से युक्त थी।

यह एक परम सत्य है कि भारत के गुणों से किसी जमाने में सम्पूर्ण विश्व चमत्कृत था। कानों से सुने भारत के गुणों को आँखों से देखने विदेशी यात्री आया करते थे। यही नहीं, यहाँ की विशेषताओं को, यहाँ के कला-कौशल को वे ग्रन्थों के रूप में परिणित करते थे। उस समय जबकि पृथ्वी के अधिकांश भागों में अज्ञानता का साम्राज्य था भारत में ज्ञान, विज्ञान, गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, साहित्य, वेद-वेदान्त, व्याकरण, न्याय, योग, स्मृति, नीति और आगम अपनी परम सीमा पर थे।

बंगाल चिकित्सा विभाग के सुप्रसिद्ध डोँ0 वाईज ने 1845 में अपनी पुस्तक हिन्दू मेडिसिन में लिखा है, कि प्राचीन काल में अस्त्र चिकित्सा और भारतीय चिकित्सा विज्ञान काफी उन्नतावस्था में था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai