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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

दीपक जलावें, सुखी रहें

घर में नित्य घी का दीपक जलाने से ऋणाबेशित आयन्स की वृद्धि होती है। दरअसल घी का दीपक जलाने से घृत में उपस्थित विशिष्ट रसायनों का आक्सीकरण होता है। यही आक्सीकरण ऋणावेशित आयन्स अथवा घर की धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है। हमारे शास्त्रों में तो दीपक की लौ की दिशा के सम्बन्ध में भी पर्याप्त निर्देश मिलता है। तदनुसार-

1. दीपक की लौ पूर्ब दिशा की ओर रखने से आयु वृद्धि होती है।
2. दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनवृद्धि होती है।
3. दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दुःख वृद्धि होती है।
4. दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रखने से अर्थ हानि होती है।

इस प्रकार दीपक लगाते समय या तो लौ पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर हो या फिर उसकी दिशा ऊर्ध्वाधार हो अर्थात् वाती दीपक के मध्य में लगाना शुभ फलदायी है। दीपक के चारों ओर वाती को प्रज्जवलित करना भी शुभ है। इसी प्रकार दीपक को देवस्थान पर भी लगाया जा सकता है अथवा किसी आलिये (ताक) में भी लगाया जा सकता है। उसे ऐसी जगह लगावें जहाँ उसकी बाती स्थिर रहे। पानी के परंडे पर घी का दीपक लगाना भी ऋणावेशित आयन्स में असीमित वृद्धि करता है। जल के परंडे पर घृत का दीपक लगाने से वहाँ का जल विशेष अदृश्य शक्ति से युक्त भी हो जाता है, जिसका पीने वाला स्वास्थ्य लाभ एवं धनवृद्धि से साक्षात्कार करता है। ऐसे दीपक लगाने से घर पर बुरी ताकतें भी अपना प्रभाव नहीं डालती हैं। पीपल वृक्ष के तले पर घी का दीपक जलाना शुभकारी है ही। इसी प्रकार जो व्यक्ति घर में नित्य तिल के तेल का दीपक जलाता है, वह शनै: शनै: कर्ज से मुक्त हो जाता है। दरअसल तिल के तेल के दहन से भी धनात्मक ऊर्जा वढ़ती है, जिसके कारण स्वास्थ्य वृद्धि होती है।

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