ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
चार वर्ष का तेरा लाडला,
जो तेरे प्रेम की रखे प्यास,
तो तेरे पचास वर्ष के माँ-बाप
तेरे प्रेम की क्यों ना रखें आस?
जिस दिन तुम्हारे कारण माँ-बाप की
आँखों में एक भी आँसू आता है,
उस दिन तुम्हारा किया सारा धर्म
उस आँसू में बह जाता है।
घर में माँ-बाप से बोलें नहीं,
सदा करें अपमान,
और वृद्धाश्रम में करें दान,
जीव दया में करें धन प्रदान,
उसे दयालु कहना,
यह है दया का अपमान।
तूने जब धरती पर लिया था पहला श्वास,
तब तेरे माता-पिता थे तेरे पास,
जब माता-पिता लें अन्तिम श्वास,
तब तू रहना उनके पास।
डेढ किलो वजन, डेढ़ घण्टे तक उठाने से
तेरे हाथ दुःख जाते हैं,
जरा इतना तो सोच माँ ने नौ महीने
तुझे पेट में कैसे उठाया होगा?
बचपन के आठ साल तुझे अँगुली पकड़कर जो माँ-बाप,
करते थे स्कूल लाना-लेने जाना,
उन माँ-बाप को बुढ़ापे के आठ साल,
तू मन्दिर लाना-लेने जाना:
शायद फर्ज तेरा थोड़ा-सा पूरा होगा,
शायद कर्ज तेरा थोड़ा-सा पूरा होगा।
¤ ¤ कपिल शर्मा
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