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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

(8) जिन लोगों की सम्पत्ति में वृद्धि न होती हो अर्थात् आय के साथ-साथ व्यय भी उतने ही या उससे अधिक अनुपात में होता हो तो उसे गाय के दूध से निर्मित दही को शरीर पर लेपन कर फिर स्नान करना चाहिए। प्रयोग कुछ दिनों तक करना पड़ता है।

 (9) अपने माता पिता के चरण स्पर्श करने वाला; भोजन करते समय पहले थोड़ा सा पदार्थ निकाल कर थाली के बाहर रखने वाला; अपने कुल देवी-देवताओं तथा पूर्वजों का सदैव स्मरण रखने वाला सदैव अनेक बाधाओं से मुक्त रहता है।

(10) यात्रा के समय अपशकुन होने पर अपनी माता की एक परिक्रमा कर उसका चरण स्पर्श कर आगे बढें।

इसी प्रकार विभिन्न वस्तुओं से मिश्रित जल से स्नान के प्रभाव पर शास्त्रों में कहा गया है कि -

कुशोदक से स्नान करने पर पापनाश, पंचगव्य से स्नान करने पर समस्त अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति, शतमूल से स्नान करने पर सभी कामनाओं की सिद्धि तथा गोश्रुड़ के जल से स्नान करने पर पापों की शान्ति होती है। पलाश, बिल्वपत्र, कमल एवं कुश के जल से स्नान करना सर्व शुभ फलकारी है। बच, दो प्रकार की हल्दी और मोथा, मिश्रित जल से किया गया स्नान राक्षसों के विनाश के लिए उत्तम है। इतना ही नहीं, वह आयु यश, धर्म और मेधा की भी वृद्धि करने वाला है। स्वर्ण जल से किया गया स्नान मंगलकारी होता हे। रजत और ताम्र जल से किये गये स्नान का भी यही फल है। रत्नमिश्रित जल से स्नान करने पर विजय, सब प्रकार के गन्धों से मिश्रित जल द्वारा स्नान करने पर सौभाग्य, फलोदक से स्नान करने पर आरोग्य तथा घात्री फल के जल से स्नान करने पर उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। तिल एवं श्वेत सर्षप के जल से स्नान करने पर लक्ष्मी, प्रियंगुजल से स्नान करने पर सौभाग्य, पद्य, उत्पल तथा कदम्बमिश्रित जल से स्नान करने पर लक्ष्मी एवं बला-वृक्ष के जल से स्नान करने पर बल की प्राप्ति होती है। भगवान श्री विष्णु के चरणोदक के द्वारा स्नान सब स्नानों से श्रेष्ठ है।

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