ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
सीताफल -
इसका वृक्ष अधिकतम 3 मीटर ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ एकान्तर क्रम में जमी रहती हैं। उनके मार्जिन संलग्न होते हैं एवं सिर्फ नुकीले होते हैं। इनकी पत्तियों में जाली विन्यास होता है। इसका वनस्पतिक नाम 'यन्नोना स्क्वेमोसा' है।
इसके अनेक औषधिक महत्व हैं। मसलन इसकी आठ-दस पत्तियों को रोज एक गिलास जल में उबालकर उस जल को जो पीता है उसके बाल घने होते हैं और वह गंजापन का शिकार नहीं होता है।
इसके बीजों को भली प्रकार पीसकर इस चूर्ण से सिर धोने पर जूँ तत्काल नष्ट हो जाती हैं। इसी प्रकार इस पौधे के और भी अनेक उपयोग हैं।
रीठा -
यह एक सामान्य पौधा है, जो कि सेपेन्डेसी कुल में आता है। इसका वास्तविक नाम सेपिन्डस मुकोरोसी है।
इस पौधे का विशेष रूप से औषधिक महत्व इसके फल का है। इसके फल को जल में खलबलाने मात्र से झाग निकलते हैं, जिनसे बाल धोने पर बाल घने व लम्बे होते हैं। इसी प्रकार इससे एक विशेष अर्क बनाते हैं, जो कि आट्रिविन दवा की तरह कार्य करता है। इस अर्क द्वारा बन्द नाक तुरन्त ही खुल जाती है। इसी प्रकार सायनस की बीमारी में इसके द्वारा आराम पाया जा सकता है। इसका अर्क बनाने के लिए रीठे के एक फल को लेकर उसे हल्का-सा गर्म करते हैं व उसे 5 मिनिट तक जल में मलकर बाहर निकाल लेते हैं। जल की मात्रा करीब 10 मिलीलीटर होनी चाहिए।
बनने वाला जलीय पदार्थ उपयोग के लिए तैयार है। इस पदार्थ की मात्रा 1-2 बूँद मात्रा को साँस द्वारा नाक में खींचने से बन्द नाक तुरन्त खुल जाती है। इससे हल्की-सी जलन होती हे, जो कुछ सेकण्ड बाद मिट जाती है।
लहसुन -
एक सामान्य शाकीय पौधा है। इससे हर कोई भली-भाँति परिचित है। भारत में यह पौधा ठण्ड के मौसम में पर्याप्त फलता फूलता है।
इसमें जमीन के अन्तर्गत एक बल्व है, जो कि अनेक शल्क पत्रों से निर्मित होता है। बल्ब के नीचे से अनेक तन्तुमय जड़ें, जो कि अशाखीय होती हैं, निकलती हैं। बल के ऊपर की ओर पत्तियाँ निकलती हैं, जो कि हरी, लम्बी तथा नुकीले सिरों वाली होती हैं। पत्तियों में समानान्तर नाड़ी विन्यास पाया जाता है।
लहसुन का बल्ब ओट अर्थात् शल्क पत्र ही विशेष रूप से औषधिक महत्व के होते हैं। वैसे लहसुन को दूध में उबालें। इसके लिए 10-12 लहसुन की कलियों को (शल्कपत्रों को) लगभग 50 ग्राम दूध में उबालें। तदुपरान्त इस दूध को ठण्डा कर लें।
इस दूध के अनेक त्वरित एवं प्रभावी उपयोग हैं। जैसे-
(अ) इस दूध की मालिश दुखती हुई पिण्डलियों पर करने से उनका दर्द तुरन्त जाता रहता है।
(ब) इस दूध की मालिश हाथ-पैर में करने पर बुखार तुरन्त उतर जाता है।
जो व्यक्ति नित्य दूध की मालिश अपने हाथों पर करता है, वह सैकड़ों पृष्ठ लिखने के बाद भी थकता नहीं है।
शिरोपीड़ा में दूध को कान में डालने से तुरन्त दर्द गायब हो जाता है। वैसे लहसुन हृदय रोगियों के लिये अमृत समान होती है।
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