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अकबर - बीरबल

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9680
आईएसबीएन :9781613012178

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अकबर और बीरबल की नोक-झोंक के मनोरंजक किस्से


मनपसंद चीज


बादशाह अकबर अपनी बेगम से किसी बात पर नाराज हो गए। नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने बेगम को मायके जाने को कह दिया। बेगम ने सोचा कि शायद बादशाह ने गुस्से में ऐसा कहा है, इसलिए वह मायके नहीं गईं। जब बादशाह ने देखा कि बेगम अभी तक मायके नहीं गई हैं तो उन्होंने गुस्से में कहा—“तुम अभी तक यहीं हो, गई नहीं, सुबह होते ही अपने मायके चली जाना वरना अच्छा न होगा। तुम चाहो तो अपनी मनपसंद चीज साथ ले जा सकती हो।”

बेगम सिसक कर जनानखाने में चली गईं। वहां जाकर उसने बीरबल को बुलाया। बीरबल बेगम के सामने पेश हो गया। बेगम ने बादशाह की नाराजगी के बारे में बताया और उनके हुक्म को भी बता दिया।

“बेगम साहिबा अगर बादशाह ने हुक्म दिया है तो जाना ही पड़ेगा, और अपनी मनपसंद चीज ले जाने की बाबत जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करें, बादशाह की नाराजगी भी दूर हो जाएगी।”

बेगम ने बीरबल से कहे अनुसार बादशाह को रात में नींद की दवा दे दी और उन्हें नींद में ही पालकी में डालकर अपने साथ मायके ले आई और एक सुसज्जित शयनकक्ष में सुला दिया। जब बादशाह की नींद खुली तो स्वयं को अनजाने स्थान पर पाकर हैरान हो गए, पुकारा—”कोई है ?”

उनकी बेगम साहिबा उपस्थित हुईं। बेगम को वहां देखकर वे समझ गए कि वे अपनी ससुराल में हैं। उन्होंने गुस्से से पूछा—”तुम हमें भी यहां ले आई, इतनी बड़ी गुस्ताखी कर डाली …।”

“मेरे सरताज, आपने ही तो कहा था कि अपनी मनपसंद चीज ले जाना…इसलिए आपको ले आई।”

यह सुनकर बादशाह का गुस्सा जाता रहा, मुस्कराकर बोले—“जरूर तुम्हें यह तरकीब बीरबल ने ही बताई होगी।”

बेगम ने हामी भरते हुए सिर हिला दिया।

* * *


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