लोगों की राय
धर्म एवं दर्शन >>
आत्मतत्त्व
आत्मतत्त्व
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :109
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9677
|
आईएसबीएन :9781613013113 |
 |
|
9 पाठकों को प्रिय
27 पाठक हैं
|
आत्मतत्त्व अर्थात् हमारा अपना मूलभूत तत्त्व। स्वामी जी के सरल शब्दों में आत्मतत्त्व की व्याख्या
वे दोनों धारणाएँ हमें तत्काल ही एक समान प्रतीत होती हैं - एक आशावादी है और दूसरी प्रारम्भिक होने के साथ निराशावादी। पहली दूसरी का ही प्रस्फुटन है। यह नितान्त सम्भव है कि अत्यन्त प्राचीन काल में स्वयं आर्य भी ठीक मिस्रियों जैसी धारणा रखते थे, या रखते रहे हों। उनके पुरातनतम आलेखनों के अध्ययन से हमें इसी धारणा की सम्भावना उपलब्ध होती है। किन्तु यह पर्याप्त दीप्तिमान वस्तु होती है, कोई ऐसी वस्तु जो दीप्तिमान है। मनुष्य के मरने पर यह आत्मा पितरों के साथ निवास करने चली जाती है और उनके सुख का रसास्वादन करती हुई वहाँ जीती रहती है। वे पितर उसका स्वागत बड़ी दयालुता से करते हैं। भारत में आत्मा- विषयक इस प्रकार की धारणा प्राचीनतम। आगे चलकर यह धारणा उत्तरोत्तर उच्च होती जाती है। तब यह ज्ञात हुआ कि जिसे पहले आत्मा कहा जाता था, वह वस्तुत: आत्मा है ही नहीं। यह द्युतिमय देह, कितनी ही सूक्ष्म क्यों न हो, फिर भी है शरीर ही; और सभी देहों का स्थूल या सूक्ष्म पदार्थों से निर्मित होना अनिवार्य है। रूप और आकार से युक्त जो भी है, उसका सीमित होना अनिवार्य है और वह नित्य नहीं हो सकता। प्रत्येक आकार में परिवर्तन अन्तर्निहित है। जो परिवर्तनशील है, वह नित्य कैसे हो सकता है? अत: इस द्युतिमय देह के पीछे उनको एक वस्तु मानो ऐसी मिल गयी, जो मनुष्य की आत्मा है। उसको आत्मा की संज्ञा मिली। यह आत्मा की धारणा तभी आरम्भ हुई। उसमें भी विविध परिवर्तन हुए। कुछ लोगों का विचार था कि यह आत्मा नित्य है; बहुत ही सूक्ष्म है, लगभग उतनी ही सूक्ष्म जितना एक परमाणु; वह शरीर के एक अंग-विशेष में निवास करती है, और मनुष्य के मरने पर अपने साथ द्युतिमय देह को लिये यह आत्मा प्रस्थान कर जाती है। कुछ लोग ऐसे भी थे, जो उसी आधार पर आत्मा के पारमाणविक स्वरूप को अस्वीकार करते थे, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने इस द्युतिमय देह को आत्मा मानना अस्वीकार किया था।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai