ई-पुस्तकें >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
आओ प्रिये
आज की सांझ है कितनी प्यारी
नजरें तकती है राहें तुम्हारी
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।
मेघ बरसते हैं छम-छम
जो आग लगाते है तन में
ऐसी सुन्दर वाटिका खिली है
चारों तरफ महकी है फुलवारी।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।
तेरे आने से मेरी प्रियतमा
इन पर आयेगी और बहार
महक उठेंगे फिर से फूल ये
खो चुके हैं सुगन्ध जो सारी।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली।
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